नहेजुल बलाग़ा ख़ुतबा नं. 1 अल्लाह की महानता और विषेशता...
नहजुल बलाग़ा का ख़ुतबा नं. 1 (हिंदी में)
यह ख़ुतबा इस्लाम की पहली किताब "क़ुरआन", अल्लाह की महानता और उसकी विशेषताओं पर आधारित है। इसमें हज़रत अली (अ.स.) ने सृष्टि की रचना, जीवन की उत्पत्ति, और अल्लाह के अस्तित्व की अनूठी प्रकृति का वर्णन किया है।
ख़ुतबा नं. 1 (अनुवाद)
सारी प्रशंसा अल्लाह के लिए है, जिसकी तारीफ बयान करने वाले हक़ तक नहीं पहुंच सकते, गिनने वाले उसकी नेमतों को नहीं गिन सकते और कोशिश करने वाले उसकी तारीफ का हक़ अदा नहीं कर सकते। वह ऐसा है, जिसकी गहराई में सोचने वालों के विचार डूब जाते हैं, और जिसकी हक़ीकत तक अक़्लें नहीं पहुंच सकतीं।
वह ऐसा है जिसने मख़लूक़ात को उसकी क़ुदरत से पैदा किया, और हवाओं को उसके रहमत से बहाया, और ज़मीन को उसके पहाड़ों से मज़बूत बनाया।
वह अव्वल है लेकिन उसकी कोई इब्तेदा नहीं, और आख़िर है लेकिन उसका कोई अंत नहीं। वह हर चीज़ का मालिक है, और उसकी नज़र से कोई चीज़ छुपी नहीं रहती।
संक्षिप्त विश्लेषण
यह ख़ुतबा अल्लाह की महानता और उसकी अनंत शक्तियों का बखान करता है। इसमें हज़रत अली (अ.स.) ने बताया कि अल्लाह की सृष्टि की व्यवस्था बेमिसाल और पूर्ण है। यह ख़ुतबा इंसान को अल्लाह की अद्वितीयता, उसकी नेमतों, और मख़लूक़ात की संरचना पर चिंतन करने के लिए प्रेरित करता है।
मुख्य संदेश:
1. अल्लाह की तारीफ और महानता:
अल्लाह हर चीज़ से ऊपर है और उसकी वास्तविकता को समझना इंसानी सोच से परे है।
2. सृष्टि की रचना:
इस ख़ुतबे में अल्लाह की रचनात्मक शक्ति और हर चीज़ को एक उद्देश्य के साथ बनाने पर जोर दिया गया है।
3. अल्लाह का अनंत ज्ञान:
अल्लाह हर चीज़ को देखता और जानता है। इंसान को उसकी नेमतों का शुक्रिया अदा करना चाहिए।
यह ख़ुतबा न केवल अल्लाह की पहचान को उजागर करता है बल्कि इंसान को उसकी ताकत और मख़लूक़ात के साथ उसके संबंध पर भी गहन विचार करने को कहता है।
अली रज़ा आबेदी
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