रूस ने बनाई कॅन्सर की वैक्सीन... आने वाले वर्ष रुस के कॅन्सर पिडीतो को मिलेगी मुफ्त !
रूस के स्वास्थ्य मंत्रालय ने घोषणा की है कि उन्होंने कैंसर के लिए mRNA वैक्सीन विकसित करने में सफलता प्राप्त की है। इस वैक्सीन को रूस के रेडियोलॉजी मेडिकल रिसर्च सेंटर द्वारा विकसित किया गया है। यह वैक्सीन अगले साल रूस के नागरिकों को मुफ्त में उपलब्ध कराई जाएगी
यह वैक्सीन mRNA तकनीक पर आधारित है। mRNA (मैसेंजर RNA) तकनीक एक उन्नत बायोटेक्नोलॉजी है जिसका उपयोग हाल ही में COVID-19 वैक्सीन (जैसे फाइजर और मॉडर्ना) में भी किया गया था। इस तकनीक में वैक्सीन मानव शरीर में ऐसे सूचनात्मक प्रोटीन का उत्पादन कराती है, जिससे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्यून सिस्टम) को किसी विशेष बीमारी या कैंसर कोशिकाओं की पहचान कर उन्हें नष्ट करने में मदद मिलती है !
mRNA वैक्सीन शरीर की कोशिकाओं को एक "ब्लूप्रिंट" या निर्देश देती है कि वे ऐसे प्रोटीन बनाएं जो कैंसर कोशिकाओं की सतह पर पाए जाते हैं।
जब यह प्रोटीन शरीर में बनता है, तो प्रतिरक्षा तंत्र इसे 'अजनबी' मानकर प्रतिक्रिया करता है और कैंसर कोशिकाओं पर हमला करता है।
वैक्सीन न केवल ट्यूमर के विकास को रोकती है बल्कि शरीर में मौजूद कैंसर कोशिकाओं को भी नष्ट करने में मदद कर सकती है।
यह कैंसर के खिलाफ प्राकृतिक प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को मजबूत करता है ताकि बीमारी के फैलने की संभावना कम हो जाए।
रूसी विशेषज्ञों के अनुसार, वैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल में यह साबित हुआ है कि:
वैक्सीन कैंसर ट्यूमर के विकास को रोकने में सक्षम है।
यह कैंसर की उन्नत अवस्था में भी प्रभावी प्रतिक्रिया दे सकती है।
हालांकि वैक्सीन की प्रभावशीलता को लेकर अधिक डेटा और ट्रायल की आवश्यकता है, लेकिन इसे "सदी की सबसे बड़ी खोज" कहा जा रहा है
mRNA वैक्सीन एक बड़ी क्रांति हो सकती है, क्योंकि यह पारंपरिक कैंसर उपचार (जैसे कीमोथेरेपी और रेडिएशन) की तुलना में अधिक सटीक और कम हानिकारक है।
यह वैक्सीन शरीर के स्वस्थ कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाए बिना कैंसर कोशिकाओं पर हमला करती है।
अगर यह तकनीक सफल होती है, तो यह भविष्य में कैंसर के इलाज को पूरी तरह बदल सकती है।
रूस द्वारा mRNA कैंसर वैक्सीन की खोज एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। हालांकि, यह वैक्सीन अभी शुरुआती चरण में है और इसके प्रभाव की पुष्टि के लिए बड़े स्तर पर परीक्षण की आवश्यकता है। यदि सब कुछ सफल रहा, तो यह कैंसर जैसी घातक बीमारी के खिलाफ लड़ाई में एक बड़ी उम्मीद बन सकती है।
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