शिया-सुन्नी एकता की मिसाल खेडगांव का मोहर्म 4 सफर जनाबे सकिना अ.स. की शहादत के मजलिस दोनो समुदायो ने मिल जलकर आयोजन कर नज़रानए अक़िदत किया पेश !
( सिटीज़न संवाद दाता ) महाराष्ट्र के जलगांव ज़िले की तहेसिल चालिसगांव के अंतर्गत आनेवाला खेडगांव एक ऐसा गांव है, जो सदियो से ना सिर्फ हिंदू - मुस्लिम बल्कि शिया सुन्नी एकता की भी मिसाल पेश करता आ रहा है ! गांव मे मोहर्म ही नहीं, रामनवमी पर निकलने वाली रथ यात्रा भी सभी समुदाय के लोग मिलजुलकर मनाते आ रहे है !
कर्बला की जंग के बारे मे सभी जानते है! ये जंग केवल इस्लाम को बचाने के लिए नही लढी गई थी ! इस जंग का उद्देश इन्सानियत को बचाना भी था ! आज के परिपेक्ष मे देखा जाए तो ज़ाहिरी तौर पर हज़रत इमाम हुसैन अ.स. की हार हुई थी, लेकिन इमाम हुसैन अ.स. ने अपने 72 साथीयो की कुर्बानी देकर अपना घरबार लुटा कर इन्सानियत को बचा लिया था ! ये जंग "हक़" सच्चाई के लिए "सब्र " संयम के साथ लढने की प्रेरणा देती है !
ज्ञात रहे कि ये गांव पुर्व मे शिया जहागीर के अधिन रहा है! यहां के अंतिम जागिरदार मिर सुजात अली और उनके भाई मिर मुज़फ्फर अली ( मुज्जु मिया ) बडी अक़िदत के साथ मजलिसो- मातम का आयोजन करते थे! इस आयोजन मे सभी समुदायो के लोग सहभागी होते थे ! 70 के दशक से ज्ञानर्जन ( शिक्षण ) फिर उपजिविका आदी के लिए दोनो भाईयो के वंशजो ने गांव छोडकर औरंगाबाद का रुख किया ! 90 का दशक आते आते सभी औरंगाबाद मे बस गए! वहां जब कोई नहीं रहा तब अलम मुबारक औरंगाबाद मे इस्ताद होने लगे, मातम मजलिस का सिल सिला भी यहीं पड गया! अब दुबारा आशुरख़ाने का पुरनिर्माण कर चार सफर की मजलिस 10/8/2024/ शनिवार को मुनक्किद ( आयोजन ) किया गया जिसमे बडी संख्या मे गांव की महिलाओ ने ऊपस्थित रहे कर नज़रानए अक़िदत पेश किया ! मजलिस के आयोजन मे गांव के ज़ाकिर भाई, सलिम भाई, अब्दुल वहाब भाई, मुख्तार भाई, शब्बिर पिंजारी, उमर भाई, रसुल भाई आदी ने सहकर्य किया! इन सभी लोगो का जहागिरदार परिवार आभार व्यक्त करता है !
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