नहेजुल बलाग़ा ख़ुतबा नं. 87 हज़रत अली अ.स. का जाहील आलीमो से बचने का संदेश !
नहजुल बलाग़ा: ख़ुतबा नं 87 (हिंदी अनुवाद)
यह ख़ुतबा हज़रत अली (अ.स.) की उन बातों में से है, जो उन्होंने अपने समय के फितनों (अराजकताओं) और समाज में फैल रहे बुरे हालात के बारे में कही थी। इसमें उन्होंने जाहिल आलीम और उनकी वजह से समाज में होने वाले नुकसान को भी स्पष्ट किया है।
ख़ुतबे का मुख्य भाग (हिंदी अनुवाद):
"ऐ लोगों! फितनों (अराजकताओं) का आरंभ उस समय होता है जब हवास (इच्छाओं) की पैरवी की जाती है और शरीयत के विरुद्ध नए-नए विचार पेश किए जाते हैं। उस समय लोग अपने धर्म को दुनिया के लाभ के लिए इस्तेमाल करने लगते हैं। यह सब इसलिए होता है क्योंकि ऐसे लोग (जाहिल आलीम) जो ज्ञान का दावा करते हैं, लेकिन हक़ीक़त में अज्ञानी होते हैं, अपने आपको हिदायत देने वाला और मार्गदर्शक समझते हैं।"
"वे सत्य के खिलाफ खड़े हो जाते हैं और झूठ को बढ़ावा देते हैं। उनकी बातें लोगों को भ्रम में डाल देती हैं। वे अज्ञानता के कारण खुद भी गुमराह होते हैं और दूसरों को भी गुमराह करते हैं। उनके कारण समाज में बुराई बढ़ती है, सत्य को झूठ और झूठ को सत्य बना दिया जाता है।"
"ऐसे समय में, सच्चाई के मानने वाले थोड़े हो जाते हैं और झूठ के मानने वाले अधिक। यह इसलिए होता है क्योंकि लोग अपने मार्गदर्शकों (जाहिल आलीम) को बिना जांचे-परखे अपना लेते हैं।"
"इस प्रकार, फितने (अराजकता) के समय, जो लोग हक़ (सत्य) पर होते हैं, वे कमज़ोर पड़ जाते हैं और जो गुमराह होते हैं, वे शक्तिशाली हो जाते हैं। यह दौर तब तक चलता रहता है जब तक अल्लाह लोगों में से किसी नेक और हिदायत याफ़्ता को खड़ा नहीं करता, जो इन्हें फितनों से बचाए !
इस ख़ुतबे का संदेश
2. जाहिल आलीम समाज को गुमराह करते हैं क्योंकि उनके पास न तो सच्चा ज्ञान होता है और न ही मार्गदर्शन की योग्यता।
3. लोग बिना सत्य को जांचे-परखे उनका अनुसरण करने लगते हैं, जिससे समाज में गुमराही और बुराई फैलती है।
4. अल्लाह ऐसे समय में किसी नेक और सच्चे व्यक्ति को खड़ा करता है, जो लोगों को सही मार्ग दिखाता है
यह ख़ुतबा हमें जाहिल आलीम से बचने और सच्चे मार्गदर्शन की खोज करने की शिक्षा देता है।
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