ख्वाजा की चौखट पर चादर, और भक्तों के दिलों में मिर्ची... मामला कोर्ट तक पहोंचा !

Jan 5, 2025 - 18:51
Jan 5, 2025 - 18:53
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ख्वाजा की चौखट पर चादर, और भक्तों के दिलों में मिर्ची... मामला  कोर्ट  तक  पहोंचा  !

 ( सारांश कटाक्ष  ) :- अजमेर शरीफ की पाक ज़मीन पर उस दिन एक ऐतिहासिक घटना घटी जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से भेजी गई चादर को लेकर केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू दरगाह पहुंचे। चादर मखमली थी, इरादे नेक थे, और कैमरे हर कोण से तैयार थे। उन्होंने मज़ार पर चादर अर्पण की, दुआएं मांगीं, और साथ ही उम्मीद जताई कि शायद देश की गंगा-जमुनी तहज़ीब और मजबूत हो।

लेकिन हर कहानी में एक ट्विस्ट होता है। भक्तगण, जो अक्सर धर्म और परंपरा के ठेकेदार बनकर उभरते हैं, इस घटना से इतने तिलमिला गए कि मिर्ची से लाल-पीले हो गए। मानो चादर नहीं, उनके दिलों पर पथराव हो गया हो। "यह कैसे हो सकता है?" उन्होंने सोचा। "हमारी सांस्कृतिक परंपराएं खतरे में हैं!" कुछ भक्त तो ऐसे भड़क गए कि वे इस मामले को सीधा कोर्ट तक ले गए, मानो प्रधान मंत्री जी ने दर्गा पर चादर भेट कर कोई बहोत बडा अपराध कर लिया !

अब इन अंध भक्तो को कौन समझाए ये एक राष्ट्रिय परंपरा है,  जो सदियो से चली आ रही है ! साधु संत पिर फकिर इन की शिक्षा तो समस्त मानव कल्यान के लिए होती है !

अब मामला अदालत की चौखट पर है। चादर का रंग लाल था, लेकिन भक्तों की नज़र में वह सियासी हो गया। कोई कहता है, यह वोट बैंक का खेल है, तो कोई कहता है कि यह धार्मिक हस्तक्षेप है। इधर चादर चुप है, ख्वाजा चुप हैं, लेकिन भक्तों की आवाज़ गूंज रही है—“ये हमारी परंपरा के खिलाफ है!”

तो, चादर की यात्रा पूरी हुई, मगर भक्तों के दिलों में "मिर्ची मोमेंट" छोड़ गई। ख्वाजा साहब की दरगाह पर सियासत और आस्था का यह अनोखा मिलन यकीनन इतिहास में दर्ज हो गया है।

 

 

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