सिरीया मे युध्द और रौज़ो पर मंडराता ख़तरा... ?

Dec 6, 2024 - 23:06
Dec 6, 2024 - 23:22
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सिरीया मे युध्द  और रौज़ो पर मंडराता ख़तरा... ?

सिरिया में युद्ध और रौज़ों पर मंडराता खतरा

सीरिया पिछले एक दशक से लगातार युद्ध और अस्थिरता के दौर से गुजर रहा है। इस युद्ध ने न केवल लाखों लोगों को बेघर किया है, बल्कि सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहरों को भी गंभीर खतरे में डाल दिया है। इस्लाम धर्म में रौज़ों (पवित्र समाधियों) को गहरी आस्था और श्रद्धा से देखा जाता है, लेकिन सीरिया के मौजूदा हालात में इन पवित्र स्थलों पर भी खतरा मंडरा रहा है।

सीरिया के विभिन्न इलाकों में जारी संघर्ष ने ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों को नुकसान पहुंचाया है। यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स में शामिल कई स्थानों को युद्ध के दौरान बमबारी और लूटपाट का सामना करना पड़ा है। दमिश्क, अलेप्पो और हमा जैसे शहरों में स्थित रौज़ों को न केवल सीधा नुकसान हुआ है, बल्कि इन्हें आतंकवादी संगठनों द्वारा निशाना बनाए जाने का खतरा भी बढ़ गया है।

सांप्रदायिक संघर्षों ने इन स्थलों की सुरक्षा को और अधिक चुनौतीपूर्ण बना दिया है। शिया और सुन्नी समुदायों के बीच बढ़ते तनाव के कारण कई महत्वपूर्ण रौज़ों पर हमले हुए हैं। ये हमले धार्मिक सहिष्णुता और सांस्कृतिक एकता के लिए एक गंभीर खतरा हैं।

सीरिया के रौज़ों को सुरक्षित रखने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने कई प्रयास किए हैं। यूनेस्को और अन्य संस्थाएं सांस्कृतिक धरोहरों की सुरक्षा के लिए काम कर रही हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर हालात बेहद कठिन हैं।

सीरिया में जारी युद्ध न केवल मानवता के लिए संकट है, बल्कि इसकी सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत भी खतरे में है। रौज़ों और अन्य धार्मिक स्थलों की सुरक्षा के लिए तत्काल अंतरराष्ट्रीय सहयोग और स्थानीय शांति प्रयासों की आवश्यकता है। केवल स्थायी शांति ही इन पवित्र स्थलों को विनाश से बचा सकती है।

सीरिया में जारी गृहयुद्ध के दौरान ईरान ने राष्ट्रपति बशर अल-असद की सरकार का समर्थन करते हुए अपनी सैन्य उपस्थिति दर्ज कराई है। ईरानी सैन्य सलाहकार कई वर्षों से सीरिया में आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सहायता प्रदान कर रहे हैं। 

ईरान के इस समर्थन का एक प्रमुख उद्देश्य सीरिया में स्थित शिया समुदाय के पवित्र स्थलों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। विशेषकर दमिश्क के निकट स्थित सैय्यदा ज़ैनब की दरगाह, जो शिया मुसलमानों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, की सुरक्षा के लिए ईरान समर्थित मिलिशिया सक्रिय हैं। इन मिलिशियाओं में लेबनानी हिज़्बुल्लाह और इराकी शिया समूह शामिल हैं, जो इन पवित्र स्थलों की रक्षा के लिए तैनात हैं।

हाल के दिनों में, विद्रोही गुट हयात तहरीर अल-शाम (HTS) ने अलेप्पो और हामा जैसे रणनीतिक शहरों पर कब्जा कर लिया है, जिससे इन पवित्र स्थलों की सुरक्षा को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं। इस परिप्रेक्ष्य में, ईरान ने सीरिया में अपनी सैन्य उपस्थिति को और मजबूत करने का संकेत दिया है, ताकि पवित्र स्थलों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

तुर्की और ईरान के बीच सीरिया के मुद्दे पर तनाव भी बढ़ा है, क्योंकि दोनों देश सीरिया में विभिन्न गुटों का समर्थन करते हैं। इस जटिल परिदृश्य में, ईरान का मुख्य उद्देश्य शिया पवित्र स्थलों की सुरक्षा करना है, जो उसके धार्मिक और रणनीतिक हितों के लिए महत्वपूर्ण है।

 सीरिया में जारी संघर्ष के दौरान ईरान की सैन्य उपस्थिति का एक प्रमुख उद्देश्य शिया समुदाय के पवित्र स्थलों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। इसके लिए ईरान ने अपनी सेना और समर्थित मिलिशियाओं को तैनात किया है, ताकि इन स्थलों को संभावित खतरों से बचाया जा सके।

 

 

 

 

 

 

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