साध्वी प्रज्ञा अदालत मे हाज़ीर हो ... बहाने बाज़ साध्वी फिर बिमार !
( सारांश कटाक्ष )
भारतीय राजनीति में अगर कोई ऐसा नाम है जो नोटिस मिलते ही बीमार पड़ जाता है, तो वो है साध्वी प्रज्ञा ठाकुर। जैसे ही कोर्ट से कोई नोटिस आता है, वैसे ही साध्वी जी का स्वास्थ्य अचानक गोता खाने लगता है। ये वही साध्वी हैं जिन्होंने एक बार दावा किया था कि उन्होंने अपने कैंसर का इलाज गोमूत्र से कर लिया!
साध्वी प्रज्ञा ठाकुर की बीमारी का हिसाब समझना आम जनता के लिए एक पहेली बन चुका है। जब तक कोई गंभीर कानूनी नोटिस नहीं आता, वो कभी क्रिकेट खेलती दिखती हैं, कभी फ्लाइट में यात्रियों से बहस करती हैं, तो कभी पार्टी से नाराज़ होकर बयानबाजी करती हैं। मानो सारी राजनीति उनके इर्द-गिर्द ही घूम रही हो। लेकिन कोर्ट का कोई भी संदेश आते ही उनके स्वास्थ्य को अजीबोगरीब दौरे पड़ने लगते हैं।
आखिरकार जनता भी सोचने पर मजबूर हो जाती है कि उनकी बीमारी इतनी अजीब क्यों है। एक तरफ तो वो हरकतों में चपल, तेज़ और निडर दिखती हैं, लेकिन जैसे ही मालेगांव ब्लास्ट केस की बात आती है, उनकी तबीयत एकदम से नासाज हो जाती है। बहानेबाज़ी का ये सिलसिला ऐसा है कि डॉक्टर भी अब कहने लगे हैं कि "हमसे ना हो पाएगा!"
साध्वी जी का दावा है कि उनके ऊपर हो रहे अत्याचारों का जिम्मेदार कांग्रेस है। शायद कांग्रेस वालों ने ही उनके स्वास्थ्य को ‘नोटिस-रिएक्टिव बीमारी’ का शिकार बना दिया है! अब यह बीमारी कौन-से डॉक्टर से ठीक होगी, ये तो पता नहीं, पर गोमूत्र भी इस मामले में शायद कोई चमत्कार नहीं कर पाएगा।
जनता के लिए यह देखना अब किसी सीरियल से कम नहीं है - "नोटिस का असर," जिसमें नोटिस मिलते ही साध्वी की बीमारियाँ वापिस प्रकट हो जाती हैं। साध्वी प्रज्ञा का यह अनोखा ड्रामा राजनीति की दुनिया में हास्य व्यंग्य का विषय बन चुका है, जहाँ गंभीर मुद्दों की तह तक जाने की बजाय वो बीमारी की चादर ओढ़ लेती हैं।
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