डाॅ. अमारा अली ने रचा इतिहास... लंदन मे कश्मिरी मर्सिये पर की PHD

May 28, 2025 - 16:38
May 28, 2025 - 17:49
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डाॅ. अमारा अली ने रचा इतिहास... लंदन  मे कश्मिरी मर्सिये पर की PHD

ऐतिहासिक उपलब्धि! 

डॉ. अमारा अली ने रचा इतिहास!

वह अमेरिका में 'कश्मीरी मर्सिया' पर पीएचडी पूरी करने वाली पहली स्कॉलर बन गई हैं।

यह हमारी समृद्ध साहित्यिक विरासत के लिए गर्व का क्षण है।

कश्मीरी मर्सिया – जो मातम, संस्कृति और कविता का जीवंत संगम है – पर शोध कर उन्होंने इस दुर्लभ विधा को वैश्विक मंच पर पहचान दिलाई है।

 आइए हम सब मिलकर इस ऐतिहासिक सफर और अद्भुत उपलब्धि के लिए डॉ. अमारा अली को सलाम करें! 

कश्मीरी मर्सिया (Marsiya) कश्मीर की समृद्ध साहित्यिक और सांस्कृतिक परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह एक विशेष प्रकार का काव्य है, जो मुख्य रूप से शिया मुस्लिम समुदाय में प्रचलित है और हजरत इमाम हुसैन (अ. स.) की शहादत और कर्बला की घटना को केंद्र में रखकर रचा जाता है। मर्सिया न केवल धार्मिक भावनाओं को व्यक्त करता है, बल्कि कश्मीरी भाषा, संस्कृति और काव्य कला की गहराई को भी दर्शाता है। कश्मीरी मर्सिये की उत्पत्ति, विशेषताओं, शैली, और इसके सांस्कृतिक महत्व पर बात करते है! इसकी उत्पत्ति और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, मर्सिया शब्द अरबी शब्द "रिसा" से लिया गया है, जिसका अर्थ है शोक या विलाप। यह काव्य शैली मूल रूप से अरबी और फारसी साहित्य से प्रेरित है, जो भारत में इस्लाम के आगमन के साथ कश्मीर तक पहुंची। कश्मीर में मर्सिये की परंपरा 14वीं और 15वीं शताब्दी में शुरू हुई, जब सूफी संतों और इस्लामी विद्वानों ने इस क्षेत्र में इस्लाम का प्रचार-प्रसार किया। कश्मीरी मर्सिया विशेष रूप से शिया समुदाय के बीच लोकप्रिय हुआ, जो मुहर्रम के महीने में इमाम हुसैन और उनके साथियों की शहादत को याद करने के लिए इसे पढते हैं।कश्मीरी मर्सिया की जड़ें फारसी मर्सिये की परंपरा से जुड़ी हैं, लेकिन समय के साथ इसमें स्थानीय कश्मीरी भाषा, संस्कृति और संगीतमय तत्वों का समावेश हुआ। कश्मीरी मर्सिया में संस्कृत और प्राकृत भाषाओं के प्रभाव के साथ-साथ स्थानीय लोक परंपराओं का भी मिश्रण देखने को मिलता है, जो इसे अद्वितीय बनाता है।कश्मीरी मर्सिये की विशेषताएं कश्मीरी

मर्सिया मुख्य रूप से कर्बला की घटना पर आधारित होता है, जिसमें इमाम हुसैन, उनके परिवार और साथियों की शहादत का मार्मिक वर्णन किया जाता है। यह काव्य शोक, बलिदान, और सत्य के लिए संघर्ष की भावनाओं को व्यक्त करता है। मर्सिया में अक्सर वीरता, धार्मिक निष्ठा और मानवीय मूल्यों की चर्चा होती है।काव्य शैली:

कश्मीरी मर्सिया काव्य की एक ऐसी शैली है, जिसमें गहरी भावनात्मकता और संगीतमय लय होती है। यह आमतौर पर कश्मीरी भाषा में लिखा जाता है, लेकिन इसमें फारसी, उर्दू और अरबी के शब्दों का भी उपयोग होता है। मर्सिया की पंक्तियाँ सरल, हृदयस्पर्शी और लयबद्ध होती हैं, जो इसे गायन के लिए उपयुक्त बनाती हैं।

मर्सिया को मुहर्रम के दौरान मजलिसों (धार्मिक सभाओं) मे पढा जाता है। इसे सामूहिक रूप से या एकल रूप में प्रस्तुत किया जाता है, जिसमें (मर्सियाख्वान) अपनी आवाज और भाव-भंगिमाओं के माध्यम से श्रोताओं को भावनात्मक रूप से जोड़ते हैं। कश्मीरी मर्सिया में पारंपरिक वाद्य यंत्रों जैसे रबाब, संतूर और तबला का उपयोग भी किया जाता है।स्थानिय 

कश्मीरी मर्सिया में स्थानीय लोक काव्य और संगीत की शैलियों जैसे "चकरी" और "सूफियाना कलाम" का प्रभाव देखा जा सकता है। यह इसे अन्य क्षेत्रों के मर्सियों से अलग करता है। कश्मीरी मर्सिया में प्रकृति, पहाड़ों और कश्मीर की सुंदरता का उल्लेख भी कभी-कभी मिलता है, जो इसे स्थानीय रंग प्रदान करता है। कश्मिरी मर्सिया 

  फारसी और प्राकृत भाषाओं से प्रभावित है। इसमें प्रतीकात्मक और भावनात्मक शब्दों का उपयोग होता है, जो श्रोताओं में गहरी भावनाएँ जगाते हैं।कश्मीरी मर्सिया के प्रमुख कवि और रचनाएँकश्मीर में कई प्रसिद्ध मर्सियाख्वानों और कवियों ने इस परंपरा को समृद्ध किया है। कुछ प्रमुख नाम निम्नलिखित हैं:मुंशी मोहम्मद हुसैन: वे कश्मीरी मर्सिया के शुरुआती कवियों में से एक थे, जिन्होंने 19वीं शताब्दी में इस काव्य को लोकप्रिय बनाया। उनकी रचनाएँ सरल और भावनात्मक थीं।हकीम मंजूर: एक अन्य प्रसिद्ध मर्सियाख्वान, जिन्होंने कश्मीरी भाषा में कई मार्मिक मर्सिए लिखे।मौलवी सिद्दीकुल्लाह: उनके मर्सियों में धार्मिक और दार्शनिक गहराई थी, जो आज भी लोकप्रिय हैं।इनके अलावा, कई गुमनाम कवियों ने भी मर्सिया परंपरा को जीवित रखा। कश्मीरी मर्सिया की रचनाएँ आमतौर पर मौखिक परंपरा के माध्यम से पीढ़ी-दर-पीढ़ी हस्तांतरित हुई हैं।सांस्कृतिक और सामाजिक महत्वकश्मीरी मर्सिया केवल एक धार्मिक काव्य नहीं है, बल्कि यह कश्मीर की सांस्कृतिक और सामाजिक पहचान का प्रतीक भी है!  [ अली रज़ा आबेदी ]

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