मौलाना साजिद रशिदी ... थप्पड से डर नही लगता सहाब...!

अगर भारत में विवादों का कोई स्थायी सदस्यता कार्ड होता, तो मौलाना साजिद रशिदी उस पर गोल्ड मेंबर होते! धर्म, राजनीति और बयानबाज़ी के तिकड़ी खेल में उनका नाम अब "विश्वास और विवाद" दोनों का पर्याय बन चुका है। कभी BJP को वोट देकर सुर्ख़ियों में, तो कभी साड़ी पहनकर मस्जिद गई डिंपल यादव पर "फैशन पुलिस" की तरह टिप्पणी करके बवाल मचा देना—मौलाना साहब सबमें अग्रणी हैं।
????️ जब मौलाना BJP के ‘भक्त’ निकले
मुस्लिम धर्मगुरु होने के बावजूद जब मौलाना रश्दी ने खुलेआम स्वीकार किया कि "मैंने BJP को वोट दिया है", तो कुछ लोगों ने तो टीवी फोड़ दिए, और बाकी ने इंटरनेट। कोई उन्हें 'गद्दार' कहने लगा, कोई 'राष्ट्रवादी मौलाना'। उधर BJP वालों को भी समझ नहीं आया कि शुक्र मनाएं या चुप रहें, क्योंकि ये वही मौलाना हैं जो हफ्ते में दो बार उन्हें कोसना नहीं भूलते।
???? डिंपल यादव: साड़ी और विवाद
डिंपल यादव जब मस्जिद में साड़ी पहनकर गईं, तो मौलाना रशिदी साहब के 'धार्मिक चश्मे' ने उन्हें बिना बुर्के के देख लिया और तुरंत "फतवे जैसी फीलिंग" देने वाली टिप्पणी कर डाली। बोले, "मस्जिद में साड़ी पहनना मर्यादा के खिलाफ है!"
अब भला ये कोई बताए कि मौलाना को मस्जिद में साड़ी दिख गई, मगर राजनीति में ‘नफरत की शॉल’ लिपटी नजर नहीं आई?
???? और फिर मौलाना को मिला ‘लव का थप्पड़’
बयानबाज़ी तो मौलाना का पेशा हो गया है, लेकिन हाल ही में एक सभा में कुछ लोगों ने उन्हें "जनता की राय" के रूप में थोड़ा बहुत पीटकर समझा दिया। थप्पड़ न सही, हल्का सा ‘जनहित में घूंसा’ था। पुलिस आई, बीच-बचाव हुआ, और मौलाना साहब को उनकी जुबान पर थोड़ी बर्फ और बहुत सारा सोचने का समय मिला।
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