सियासत मे स्टेज पर आंसु बहाना कितना है ज़रुरी... ? किस किस नेता ने कब कब स्टेज पर बहाए है आंसु

Nov 16, 2024 - 15:17
Nov 16, 2024 - 15:27
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सियासत मे  स्टेज पर  आंसु बहाना कितना है ज़रुरी... ?  किस किस नेता ने कब कब  स्टेज पर बहाए  है आंसु

सियासत में नेताओं द्वारा जनता को भावनात्मक रूप से जोड़ने और सहानुभूति हासिल करने के लिए मंच पर आंसू बहाना एक पुरानी रणनीति रही है। यह तरीका कई बार राजनीतिक परिस्थितियों में महत्वपूर्ण मोड़ लाने या अपनी छवि को मजबूत करने के लिए उपयोग किया जाता है। नीचे कुछ प्रमुख उदाहरण दिए गए हैं जब नेताओं ने मंच पर आंसू बहाए है! कल पुर्व सांसद इम्तियाज जलील  भी भाषण के दौरान अपनी माताजी को याद कर भावुक होगए! !इसी घटना को पकडते हुए हमने इतिहास का जायज़ा लेने का प्रयास किया है!

1. जवाहरलाल नेहरू (1962, भारत-चीन युद्ध के बाद)

भारत-चीन युद्ध में भारत की हार के बाद नेहरू ने सार्वजनिक तौर पर अपनी जिम्मेदारी कबूल की और संसद में भाषण देते समय भावुक हो गए। यह उनके नेतृत्व की आलोचनाओं का दौर था।

2. इंदिरा गांधी (1977, चुनाव हारने के बाद)

जब इंदिरा गांधी 1977 के चुनाव में बुरी तरह हार गईं, उन्होंने सार्वजनिक रूप से अपनी गलती मानी और एक रैली में भावुक हो गईं। यह उनके राजनीतिक जीवन का कठिन समय था।

3. नरेंद्र मोदी (2014, संसद में प्रवेश के समय)

नरेंद्र मोदी ने जब प्रधानमंत्री बनने के बाद पहली बार संसद में प्रवेश किया, तो उन्होंने इसे "मंदिर" बताया और भावुक होकर आंसू बहाए। उनका यह इमोशनल मोमेंट जनता के बीच चर्चा का विषय बन गया।

4. राहुल गांधी (2018, कैलाश मानसरोवर यात्रा के बाद)

एक रैली में राहुल गांधी ने अपने पिता राजीव गांधी और दादी इंदिरा गांधी की मृत्यु के बारे में बोलते हुए भावुक होकर आंसू बहाए। उन्होंने कहा कि उन्होंने अपने परिवार से बहुत कुछ खोया है।

5. अर्जुन सिंह (भोपाल गैस त्रासदी, 1984)

भोपाल गैस त्रासदी के बाद अर्जुन सिंह, जो उस समय मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री थे, ने जनता के सामने अपनी संवेदनशीलता दिखाते हुए आंसू बहाए।

6. एम.के. स्टालिन (तमिलनाडु, करुणानिधि के निधन के बाद)

डीएमके पार्टी के नेता और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने अपने पिता और पार्टी के दिग्गज नेता एम. करुणानिधि के निधन के बाद एक सभा में आंसू बहाए।

7. नितिन गडकरी (बीजेपी के आंतरिक विवाद, 2012)

नितिन गडकरी ने पार्टी के आंतरिक विवादों के दौरान सार्वजनिक रूप से कहा कि वे पार्टी की सेवा करते हुए व्यक्तिगत आलोचनाओं से आहत हुए हैं, और वे भावुक हो गए।

8. ममता बनर्जी (सिंगूर और नंदीग्राम संघर्ष)

ममता बनर्जी ने सिंगूर और नंदीग्राम में भूमि अधिग्रहण के खिलाफ आंदोलन के दौरान कई बार सार्वजनिक मंचों पर आंसू बहाए। यह उनकी "लड़ाकू नेता" की छवि बनाने में मददगार साबित हुआ।

9. लालू प्रसाद यादव (चारा घोटाला सजा, 2017)

चारा घोटाले में सजा सुनाए जाने के बाद लालू यादव ने जनता को संबोधित करते हुए कहा कि यह राजनीतिक साजिश है और अपनी बेगुनाही साबित करने के दौरान भावुक हो गए।

10. अरविंद केजरीवाल (2013, दिल्ली का मुख्यमंत्री बनने के बाद)

आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद एक रैली में अपने संघर्ष और जनता के समर्थन के लिए भावुक होकर आंसू बहाए।

राजनीति में आंसुओं का महत्व

नेताओं द्वारा मंच पर रोने का मकसद जनता के साथ भावनात्मक जुड़ाव बनाना और अपनी सच्चाई, संवेदनशीलता या पीड़ा को दिखाना होता है। हालांकि, इसका असर जनता के मूड और राजनीति पर निर्भर करता है। कुछ इसे असली मानते हैं, जबकि कुछ इसे ड्रामा समझते हैं।

स्टेज पर नेता के रोने से उसे सियासति फायदा कितना मिलता है, ये हम नहीं बोल सकते! क्यों कि हम बोलेगा तो बोलोगे के बोलता है... ?

अली रज़ा आबेदी !

 

 

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