ज़ोर का झटका हाय धिरे से लगा... तनवानी ने मारी पल्टी जैस्वाल के जित का रास्ता साफ
( सारांश कटाक्ष ) शिवसेना शिंदे गुट के उम्मीदवार किशनचंद तनवानी ने आज राजनीति के खेल में एक ऐसा पैंतरा मारा कि शिवसेना उध्व गुट को जैसे "धीरे से जोर का झटका" दे दिया! संभाजीनगर मध्य से तनवानी साहब को बड़े ताम-झाम से उम्मीदवार बनाया गया था। लेकिन अचानक नामांकन वापसी कर तनवानी ने जैसे अपनी पुरानी दोस्ती की ‘लॉन्ग-लाइफ वारंटी’ साबित कर दी।
अब जनता में चर्चाओं का बाजार गर्म है कि पूर्व विधायक प्रदीप जैस्वाल और तनवानी जी की पुरानी यारी के चलते ही ये नामांकन वापसी का महान त्याग हुआ है। कुछ अंदरखाने के सूत्र बताते हैं कि तनवानी जी व्यवसाय में जितने "चतुर" हैं, राजनीति में भी गणित के बड़े पक्के खिलाड़ी हैं! कहा जा रहा है कि तनवानी जी का नाम वैसे भी "पल्टुराम लिस्ट" में पहले से दर्ज है, और बिना मुनाफे के कोई ‘पलटी’ नहीं लेते।
अब भई, तनवानी जी ने अपनी इस पलटी को हिंदुत्व के लिए "महान बलिदान" बताया और मीडिया को इशारों-इशारों में कहा, “हम दो दोस्त चुनाव में आमने-सामने थे, इसी का फायदा पिछली बार AIMIM के उम्मीदवार ने उठा लिया था। इस बार ऐसा न हो, इसलिए हमने ये ‘त्याग’ कर दिया है।”
वहीं, उबाठा के नेता और विधान परिषद के नेता प्रतिपक्ष अंबादास दानवे ने इस पूरे घटनाक्रम पर अनभिज्ञता जताते हुए कहा, “हमें तो कुछ नहीं पता भई।” दूसरी ओर, संजय राउत ने इस ‘पलटु पैंतरे’ पर मजाकिया लहजे में कहा, “चुनाव में ये सब चलता रहता है। शादी के मंडप पर दूल्हा बदल गया है, हम तो खामोश ही रहेंगे क्यों कि हम बोलेगा तो बोलोगे के बोलता है!"
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