इरान के सुप्रिम लिडर ख़ामनाइ के हाथ मे ख़ुतबे के दौरान असाॅल्ट रायफल ... ?
( मुज़म्मिल सभार रहेबर ग्रुप ) :- इरान के सुप्रिम लिडर ख़ामेनेई के हाथ में असाॅल्ट रायफल देखकर हैरान होने वालों को शायद ख़बर नहीं है कि ईरान के सर्वोच्च नेता पूर्व सैनिक भी हैं। 1979-1981 तक आईआरसीजी में अपनी सेवाएं दे चुके हैं। आठ साल तक चले ईरान-इराक़ युद्ध के दौरान लड़ाई के मैदान में थे। सितंबर, 1980 में अबदान शहर के घेराबंदी तोड़ने के लिए चलाए गए ईरानी सेना के ऑपरेशन सामेनुल आइम्मा में आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने भी शिरकत की है।
27 जून 1981 को मस्जिद अबूज़र में ख़ुत्बे के दौरान हुए एक बम धमाके में बुरी तरह घायल हो चुके हैं। इस धमाके में उनके गले और फेफड़ों में गहरी चोटें आई थीं। उनका सीधा हाथ बुरी तरह ज़ख्मी हुआ और अभी तक काम नहीं करता है। इससे पहले ईरानी क्रांति के दौरान वो इज़रायल और अमेरिका के समर्थन वाली सरकार की जेलों में भी रह चुके हैं।
इसलिए जिन चिंटुओं को लगता है वो अब मैदान छोड़कर भाग जाएंगे या जान बचाने के लिए बंकरों की शरण लेंगे, उनको बार-बार निराशा हाथ लगेगी। ये इसलिए भी कि 60 के बाद हर कर्बलाई शहादत को लक्ष्य मानकर अपनी ज़िंदगी जीता है। सिलेबस यही है कि 60 के बाद ज़िंदगी बोझ है और शहादत जावेदाना।आख़िर इमाम हुसैन दुनिया के हर यज़ीद का डर दिल से निकाल गए हैं। करबला बता गई है कि मज़लूम और हक़ का साथ देते हुए मौत आ जाए तो मौत शहद से ज़्यादा शीरीं है।
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