क्या शिया सहाबा को नही मानते ?
शिया सहाबा को नहीं मानते !
अक्सर लोगों के बीच इस तरह की अफवाह फैलाई जाती है कि शिया सहाबा को नहीं मानते अब सवाल यह पैदा होता है कि किस सहाबा को नहीं मानते और किस सहाबा को मानते है क्या सभी सहाबा को नहीं मानते । सभी सहाबा को हक़-ब-जानिब अल्लाह सुभान व तआला ने भी नहीं माना इसकी दलील सूरे मुनाफिकून मे दी गयी है। “सूरे मुनाफिकून (63) रसूलउल्लाह (सल्लललहों अलैह व आले वसल्लम) ये मुनाफ़कीन आप के पास आते है तो कहते है कि हम गवाही देते है कि आप अल्लाह के रसूल है और अल्लाह भी जानता है कि आप उस के रसूल है लेकिन अल्लाह गवाही देता है कि ये मुनाफ़कीन अपने दावे मे झूठे है । 2. उन्होंने (यानी मुनाफ़कीन) ने अपनी कसमों को सिपर (ढाल) बना लिया है और लोगों को राहे अल्लाह से रोक रहे है यह उनके बदतरीन आमाल (काम) है जो यह अंजाम दे रहे है । 3. यह इसलिए है कि यह पहले ईमान लाए फिर काफिर हो गए तो उनके दिलों पर मुहर लगा दी गई तो अब कुछ नहीं समझ रहे है । 4. और जब आप उन्हे देखेंगे तो उनके जिस्म (शरीर ) बहुत अच्छे लगेंगे और बात करेंगे तो इस तरह कि आप सुनेने लगें लेकिन हकीकत मे यह ऐसे है जैसे दीवार से लगाई हुई सूखी लकड़ीयां कि ये हर चीख को अपने ही खिलाफ समझते है और यह वाकियन दुश्मन है उन से होशियार रहे अल्लाह उन्हे गारत करे यह कहाँ बहके बहके चले जा रहे है। 5. और जब उनसे कहा जाता है कि आओ रसूलउल्लाह तुम्हारे हक मे अस्तगफार करेंगे तो सर फिरा लेते है और तुम देखोगे कि अस्तगफार की बिना पर मुंह भी मोड लेते है । 6. उनके लिए सब बराबर है चाहे आप अस्तगफार करे या न करे अल्लाह उन्हे बख्शने वाला नहीं है कि यकीनन (निसन्देह) अल्लाह बदकार कौम की हिदायत नहीं करता है । 7. यही वो लोग है जो कहते है कि रसूलउल्लाह के साथियों (सहाबियों) पर कुछ खर्च न करो ताकि यह लोग मुंतशिर (बिखर/ disperse ) हो जाए हालांकि आसमान व ज़मीन के सारे खज़ाने अल्लाह ही के लिए है और ये मुनाफ़कीन इस बात को नहीं समझ रहे है । 8. यह लोग कहते है कि अगर हम मदीना वापस आ गए तो हम साहिबान इज़्ज़त इन ज़लील अफ़राद को निकाल बाहर करेंगे हालांकि सारी इज़्ज़त अल्लाह रसूल और साहिबाने ईमान / मोमिनीन के लिए है और यह मुनाफ़कीन यह जानते भी नहीं है । 9. इमानवालों खबरदार तुम्हारे अमवाल और तुम्हारी औलाद तुम्हें याद अल्लाह से गाफिल न कर दे कि जो ऐसा करेगा वो यकीनन खसारे मे रहेगा ! एडव्होकेट एस. एम. रिझवी
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