विलादत जनाबे ज़ैनब स.अ. आप सब को मुबारक ... इस्लाम औरतो को चारदिवारी मे क़ैद करना नही सिखाता वक़्त पडने पर जंग के मैदान से लेकर ज़ालिम हाकिम को भरे दरबार मे मुह तोड जवाब देना भी सिखाता है !

Nov 8, 2024 - 18:27
Nov 8, 2024 - 18:35
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विलादत  जनाबे  ज़ैनब  स.अ.  आप सब को मुबारक ...  इस्लाम  औरतो को चारदिवारी मे  क़ैद  करना नही सिखाता वक़्त पडने पर जंग के मैदान से लेकर  ज़ालिम हाकिम  को भरे दरबार  मे  मुह तोड जवाब  देना  भी सिखाता है  !

जनाबे ज़ैनब स.अ. इस्लामी इतिहास की वो महान शख्सियत हैं, जिनका किरदार सब्र, हिम्मत और जज़्बे की मिसाल है। वो जनाबे फातिमा स.अ. और इमाम अली अ.स. की बेटी थीं। उनकी परवरिश और शिक्षा इस्लाम के सबसे पवित्र और नेक माहौल में हुई। जनाबे ज़ैनब स.अ. अपने बाबा इमाम अली अ.स., माँ फातिमा स.अ., भाई इमाम हसन अ.स. और इमाम हुसैन अ.स. के साथ बिताए हर लम्हे से इल्म, ईमान और इंसानियत की बेमिसाल दास्तानों को समझने लगीं।

जनाबे ज़ैनब स.अ. का जन्म 5 जमादि-उल-अव्वल 5 हिजरी में मदीना में हुआ। उनकी शिक्षा सीधे तौर पर उनके वालिदैन की देखरेख में हुई, जिन्होंने उन्हें कुरआन, इस्लामी शिक्षाओं, और हज़रत मुहम्मद स.अ.व. के उसूलों से रुबरु करवाया। जनाबे ज़ैनब स.अ. का किरदार हमेशा से उनकी माँ की तरह था - वो भी हिम्मत, सब्र और समाज में महिलाओं की अहमियत को बनाए रखने का अद्भुत जज़्बा रखती थीं।

कर्बला का वाकया इस्लामी इतिहास में एक ऐसा मील का पत्थर है, जहाँ जनाबे ज़ैनब स.अ. ने अपने भाई इमाम हुसैन अ.स. के साथ खड़े रहकर इस्लाम के असल उसूलों को बचाने के लिए अपनी जिंदगी और इज़्ज़त को दांव पर लगाया। जब कर्बला का मंजर सामने आया, तो उन्होंने न केवल अपने भाई और उनके साथियों को समर्थन दिया बल्कि बच्चों, औरतों और परिवार के बाकी लोगों की देखभाल का भार भी संभाला।

कर्बला में इमाम हुसैन अ.स. और उनके 72 साथी शहीद हो गए। इसके बाद जनाबे ज़ैनब स.अ. ने वो जज़्बा दिखाया, जिसने उनके साहस को हमेशा के लिए अमर कर दिया। उन्हें यज़ीदी फौज ने कैद कर लिया, लेकिन उन्होंने कभी भी अत्याचार के सामने झुकना नहीं सीखा। उनके लफ्ज़ों में और उनके किरदार में इतनी ताकत थी कि यज़ीद के दरबार में भी उन्होंने बेख़ौफ़ होकर हक़ और सच्चाई का पैगाम दिया।

जब जनाबे ज़ैनब स.अ. और उनके परिवार को कैद कर के यज़ीद के दरबार में पेश किया गया, तो यज़ीद ने सोचा कि वो इनको ज़लील कर के अपनी ताकत का प्रदर्शन करेगा। लेकिन जनाबे ज़ैनब स.अ. ने दरबार में अपनी बेख़ौफ़ तकरीर देकर यज़ीद के मंसूबों को नेस्तनाबूद कर दिया। उन्होंने अपनी तकरीर में कर्बला में हुए ज़ुल्म की हकीकत बयान की और लोगों को समझाया कि उनके भाई इमाम हुसैन अ.स. ने किस मकसद के लिए कुर्बानी दी। जनाबे ज़ैनब स.अ. के शब्दों ने यज़ीद के दरबार में मौजूद लोगों के दिलों में हक़ और इंसाफ की नई रौशनी पैदा की।

जनाबे ज़ैनब स.अ. का किरदार महिलाओं के लिए एक बड़ी प्रेरणा है। उन्होंने हमें यह सिखाया कि औरतें सिर्फ घरेलू ज़िम्मेदारियों तक सीमित नहीं हैं बल्कि उन्हें हिम्मत, सब्र और सच का अलम उठाने का हक़ भी है। जनाबे ज़ैनब स.अ. की जिंदगी हमें दिखाती है कि सच्चाई के लिए आवाज़ उठाना, चाहे कैसी भी स्थिति हो, एक मोमिन का फर्ज़ है।

कर्बला के बाद जनाबे ज़ैनब स.अ. ने जो सबक हमें दिए, वे रहनुमा की तरह हैं। उनकी बहादुरी, सब्र, और सच्चाई की ताकत हमें इस्लाम के असली मानी को समझने में मदद करती है। उनकी जिंदगी इस बात की मिसाल है कि जब भी कोई ज़ुल्म हो, हमें उसके खिलाफ खड़ा होना चाहिए, चाहे वो ताकतवर ही क्यों न हो। जनाबे ज़ैनब स.अ. का नाम हमेशा उस बहादुरी, उसूलों और ईमानदारी के साथ जुड़ा रहेगा, जो उन्होंने न सिर्फ अपने परिवार बल्कि पूरी इंसानियत के लिए पेश किए।

अली रज़ा आबेदी 

8983123110

 

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