शब-ए-मेराज की फज़ीलत: शिया अक़ीदे के अनुसार

इस्लाम धर्म में शब-ए-मेराज (लैलतुल मेराज) एक महान और पवित्र रात है। यह वह रात है जब रसूल-ए-ख़ुदा हज़रत मुहम्मद मुस्तफा (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) को सात आसमानों की यात्रा पर ले जाया गया। शिया मत के अनुसार, यह घटना न केवल अल्लाह की ताक़त और रसूल की महानता को दिखाती है, बल्कि इसमें अहल-ए-बैत (पवित्र परिवार) का महत्व भी उजागर होता है।
शब-ए-मेराज का मतलब और घटना
"मेराज" का अर्थ है "आसमानी यात्रा।" यह घटना रजब की 27वीं रात को हुई। इस रात अल्लाह ने जिब्राईल अलैहिस्सलाम के माध्यम से पैग़ंबर (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) को मक्का से मस्जिद-ए-अक्सा (यरुशलम) और फिर सात आसमानों की यात्रा कराई।
शिया मत के अनुसार, यह यात्रा केवल शरीर की नहीं, बल्कि आत्मा और शरीर दोनों की थी। यह रसूल-ए-अकरम (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) के मर्तबे को दर्शाती है और यह साबित करती है कि वह अल्लाह के सबसे करीबी बंदे हैं।
अहल-ए-बैत और मेराज
शिया मत में, शब-ए-मेराज की घटना का गहरा संबंध अहल-ए-बैत (अलैहिमुस्सलाम) से है। इस रात अल्लाह ने रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) को अहल-ए-बैत की विलायत (नेतृत्व) और उनकी फज़ीलत के बारे में भी बताया।
• रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने जन्नत में हज़रत अली (अलैहिस्सलाम), हज़रत फ़ातिमा (स.अ), इमाम हसन (अलैहिस्सलाम), और इमाम हुसैन (अलैहिस्सलाम) की रूहानी मर्तबे को देखा।
• इस रात, अल्लाह ने रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) को यह हुक्म दिया कि अहल-ए-बैत की मोहब्बत को ईमान का हिस्सा बनाएं।
नमाज़ का तोहफा
शब-ए-मेराज की सबसे अहम घटना पांच वक्त की नमाज़ का तोहफा है। शिया मत के अनुसार, नमाज़ इंसान को अल्लाह और अहल-ए-बैत की मोहब्बत के करीब लाती है। नमाज़ के दौरान तस्बीह और अहल-ए-बैत का ज़िक्र, अल्लाह की इबादत को और गहरा करता है।
शब-ए-मेराज की फज़ीलत
• इबादत की रात:
इस रात को इबादत, नफिल नमाज़, तिलावत-ए-कुरआन, और दुआ का खास एहतमाम किया जाता है। शिया मुसलमान अहल-ए-बैत की शान में दुआएं और ज़ियारत पढ़ते हैं।
• गुनाहों की माफी का मौका:
शब-ए-मेराज तौबा और गुनाहों की माफी की रात है। शिया मान्यता के अनुसार, इस रात की इबादत से अल्लाह की रहमत और अहल-ए-बैत की शफाअत (सिफारिश) हासिल होती है।
• अहल-ए-बैत की विलायत पर यकीन:
इस रात अहल-ए-बैत की फज़ीलत को समझना और उनकी मोहब्बत को दिल में बसाना, इबादत का अहम हिस्सा माना जाता है।
शब-ए-मेराज का संदेश
शब-ए-मेराज हमें यह सिखाती है कि अल्लाह और उसके चुने हुए बंदों (अहल-ए-बैत) से मोहब्बत करना ही सच्चे ईमान की निशानी है। यह रात इंसान को अपनी कमजोरियों को पहचानने और अल्लाह के करीब आने का बेहतरीन मौका देती है!
शब-ए-मेराज की रात अल्लाह की असीम रहमत और रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) की महानता को दर्शाती है। शिया मत के अनुसार, यह रात अहल-ए-बैत की विलायत को समझने और अल्लाह की बारगाह में अपनी मोहब्बत और तौबा पेश करने का वक्त है।
"यह वह रात है जब इंसान को अल्लाह और अहल-ए-बैत की रहमतों को समझने का मौका मिलता है।"
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