5 अगस्त को राहुल गांधी का ‘एटम बम’ फटेगा या फुस्सsss हो जाएगा ...?और क्या है प्रधानमंत्री मोदी की रणनीति: क्या राजनीति लेगी नया मोड़?

Aug 4, 2025 - 23:33
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5 अगस्त को राहुल गांधी का ‘एटम बम’ फटेगा या फुस्सsss  हो जाएगा ...?और क्या है प्रधानमंत्री मोदी की रणनीति: क्या राजनीति लेगी नया मोड़?

लेखक: अली रज़ा आबेदी

 सियासत का बम गिरने वाला है!

भारतीय राजनीति में 5 अगस्त 2025 एक और ऐतिहासिक मोड़ लेकर आने वाला है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इसे "राजनीतिक एटम बम" कहकर प्रचारित किया है — एक ऐसा खुलासा जिसे वह भारत के लोकतंत्र के खिलाफ अब तक की सबसे बड़ी साजिश बता रहे हैं। दूसरी ओर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार पूरी ताक़त के साथ विपक्ष के इन आरोपों को नकारते हुए अपना राष्ट्रवादी अभियान तेज़ कर चुके हैं।

तो आखिर 5 अगस्त को होने क्या जा रहा है? और मोदी की रणनीति क्या होगी? आइए विस्तार से समझते हैं।

 5 अगस्त: राहुल गांधी का 'बड़ा धमाका'

राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी ने ऐलान किया है कि 5 अगस्त को बेंगलुरु के फ्रीडम पार्क में एक विशाल जनप्रदर्शन आयोजित किया जाएगा। इस विरोध प्रदर्शन का उद्देश्य है:

• 2024 के लोकसभा चुनावों में “वोट चोरी” के आरोपों का पर्दाफाश करना

• चुनाव आयोग की भूमिका को बेनकाब करना

• और तथ्यों के आधार पर एक ज्ञापन सौंपना, जिसमें कथित सबूत शामिल होंगे

राहुल गांधी का कहना है कि उनके पास "100% प्रमाणिक सबूत" हैं जो यह सिद्ध करते हैं कि EVM हैकिंग, फर्ज़ी मतदाता, और प्रशासनिक मिलीभगत से चुनाव परिणामों को प्रभावित किया गया।

 “यह खुला-और-बंद मामला है”: राहुल गांधी

राहुल गांधी ने कहा:

“हम कोई आरोप नहीं लगा रहे, हम सबूत लेकर आ रहे हैं। यह देशद्रोह है – भारतीय लोकतंत्र की आत्मा पर हमला!”

इन सबूतों में ऑपरेशन सिंदूर, मतदाता सूची में हेरफेर, और डिजिटल घोटालों के दस्तावेज़ शामिल होने की संभावना है।

 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रतिक्रिया

प्रधानमंत्री मोदी ने इन आरोपों को सीधे खारिज करते हुए विपक्ष पर पलटवार किया है। उन्होंने संसद में अपने 102 मिनट के भाषण में यह स्पष्ट किया कि:

• विपक्ष भारत की छवि धूमिल करने का प्रयास कर रहा है

• यह विरोध एक विदेशी प्रेरित एजेंडे का हिस्सा है

• "ऑपरेशन सिंदूर" जैसे अभियान राष्ट्रहित में हैं, न कि कोई साजिश

 मोदी की रणनीति क्या है?

• राष्ट्रवाद को हथियार बनाना – "वोट की चोरी" का आरोप लगाकर विपक्ष स्वयं लोकतंत्र को बदनाम कर रहा है

• चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर जोर देना – चुनाव आयोग को स्वतंत्र संस्था बताकर कांग्रेस के हमलों को नकारना

• जनता से सीधा संवाद – मीडिया और जनसभाओं के माध्यम से जनता में विश्वास पैदा करना

 क्या होगा इसका असर?

राहुल गांधीनरेंद्र मोदी के वोट चोरी का पर्दाफाश विपक्ष को बदनाम करने वाले प्रोपोगंडे का जवाब देना जनप्रदर्शन एवं दस्तावेज़ी सबूत संसद और मीडिया के माध्यम से जन जागृती करना.चुनाव आयोग, बीजेपी की मिलीभगत का पर्दा फाश करना . राहुल गांधी एक बडा जोखि उठाने जा रहे है,प्रमाण न होने पर छवि को क्षति यदि आरोप सिद्ध हुए तो भारतीय जनता पार्टी, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को बड़ा झटका लग सकता है. 

 जनता की राय ?

एक वर्ग इस खुलासे को गंभीर मान रहा है, जबकि दूसरा इसे राहुल गांधी का एक और राजनीतिक हथकंडा बता रहा है। लेकिन यह तो स्पष्ट है कि यदि 5 अगस्त को पेश किए गए सबूत ठोस और वैध हुए, तो यह न केवल मोदी सरकार के लिए बड़ी चुनौती बन सकता है, बल्कि आगामी बिहार और महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के समीकरण भी बदल सकता है।

 लोकतंत्र की अग्निपरीक्षा ?

5 अगस्त 2025 को भारत की राजनीति एक निर्णायक मोड़ पर पहुंच सकती है। यदि राहुल गांधी वाकई में ऐसे सबूत सामने लाते हैं जो चुनावी प्रक्रिया में गंभीर गड़बड़ी सिद्ध करें, तो यह मोदी सरकार की साख पर बड़ा आघात होगा। परंतु यदि ये सबूत कमजोर या अप्रामाणिक हुए, तो यह कांग्रेस के लिए राजनीतिक आत्मघात साबित हो सकता है।

प्रधानमंत्री मोदी की रणनीति फिलहाल सतर्क लेकिन आक्रामक दिखाई देती है।

वहीं राहुल गांधी दांव पर बहुत कुछ लगा चुके हैं।

अब देखना यह है कि बेंगलुरु की सड़कों पर कौन विजयी होता है — सत्ता का सिंहासन या विपक्ष की आवाज़?

आपकी राय क्या है? क्या राहुल गांधी वाकई कोई बड़ा राजनीतिक भूचाल लाने वाले हैं, या यह केवल एक प्रचारात्मक चकवा है, ये तो आने वाला समय ही बताएगा. 

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