डाॅक्टर सहाब का मर्ज़... कहा भी ना जाए और सहा भी ना जाए... क्या हकिम सहाब करेंगे इलाज...?
( कटाक्ष सारांश ) डाॅक्टर सहाब ने अपना दर्द एक चिठ्ठी के ज़रिए हकिम सहाब को बयान कर दिया है ! पिछले कुछ सालो से वे असहज और अकेला महेसुस कर रहे थे ! मर्ज कुछ ऐसा था जो " कहा भी ना जाए और सहा भी ना जाए ! सर्जरी से पहेले युनानी इलाज आज़माने का उनका ये फैसला है, ऐसा राजनीतिक विश्लेषक मान रहे है !
हकिम सहाब को भी बडी हिकमत से काम लेना होगा ! हकिम सहाब को जो यहां से जडी बुटी सप्लाय करते है वे सिधे सर्जरी करने की सलहा हकिम सहाब को दे सकते है, ऐसा डाॅक्टर सहाब के क़रिबीयो का मानना है! इस की वजहा ये बताई जा रही है ! डाॅक्टर सहाब ने अपनी बिमारी का दोषी उन्ही को ठहेराया है, मरीज़ सिर्फ अकेले डाॅक्टर सहाब ही नही है ! मरीज़ और भी है, जो अबतक खामोश बैठे थे! डाॅक्टर सहाब के ख़त के बाद और मरीज़ भी सामने आएंगे, बिमारी के तेज़ी के साथ फैलने की आशंका है ! हकिम सहाब के पास दवा की कमी है! महाराष्ट्र मे जडी बुटी का सप्लायर एक ही है ! हकिम सहाब मरिज़ को मरता छोड सकते है ! जडी बुटी के सप्लायर को नाराज़ नही कर सकते, आख़िर शिफाख़ाना भी तो चलाना है! ये एक राजनीतिक बिमारी है, मरीज़ दवा ना मिलने पर हिंसक भी हो सकते है ! ऐसे मे जैसे जैसे मरिज़ो की संख्या बढेगी मार पिट, जुतम पैज़ार, की वारदाते भी होती हुई दिखाई देगी, ऐसा जानकारो का कहेना है ! मरीज़ स्वंयम डाॅक्टर होने के चलते वे अंतत: सर्जरी करा कर बोन ग्राफ्टिंग (हड्डि जोडना)करवा लेंगे और चलते फिरते नज़र आऐंगे ऐसा डाॅक्टर सहाब के करीबी सुत्रो द्वारा कहा जा रहा है ! अब देखना सिर्फ ये है ! डॉक्टर सहाब सिर्फ हकिम सहाब की मिजाज़ पुरसी से अपने आपको भला चंगा महेसुस करने लगें गे या फिर सर्जरी का विकल्प चुनेंगे ! सर्जरी के लिए वे किस अस्पताल मे जाते है ! डॉक्टर सहाब का मर्ज भी अपना है, हकिम सहाब भी अपने है और जडी बुटी का सप्लायर भी उनका अपना है! ऐसे मे हम बोलेगा तो बोलोगे के बोलता है...?
मीर रज़ा अली
जेष्ट पत्रकार तथा व्यंग लेखक
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