जात वैधता सर्टिफिकेट जमा करने के लिए तीन महीने की नई समय सीमा स्वीकृत – अध्ययनकर्ता डॉ. राजेंद्र दाते पाटील

प्रतिनिधि (मुंबई):
एसईबीसी और ओबीसी जात वैधता जांच के लिए नियमित जांच समिति की स्थापना कर न्यूनतम तीन महीने की नई समय सीमा बढ़ाने की मांग वरिष्ठ अध्ययनकर्ता डॉ. राजेंद्र दाते पाटील ने लगातार मुख्यमंत्री से की थी। इसके संदर्भ में पहली बार 5 सितंबर 2024 को सरकार ने उनके अनुरोध पर समय सीमा बढ़ाने का आदेश जारी किया था।
महाराष्ट्र सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग ने हाल ही में एक नया सरकारी निर्णय (जीआर) जारी किया है। इससे पहले भी डॉ. राजेंद्र दाते पाटील के प्रयासों के कारण छह महीने की समय सीमा बढ़ाई गई थी। वर्तमान स्थिति में, उनके ही प्रयासों से जात वैधता प्रमाणपत्र प्रस्तुत न कर पाने वाले सभी उम्मीदवारों के शैक्षणिक हितों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने 2024-25 के शैक्षणिक सत्र के लिए इंजीनियरिंग, मेडिकल और अन्य व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में प्रवेश लेने वाले एसईबीसी और ओबीसी वर्ग के छात्रों को तीन महीने की अतिरिक्त समय सीमा दी है।
यह समय सीमा केवल उन उम्मीदवारों के लिए मान्य होगी जिनका प्रवेश पक्का हो चुका है लेकिन वे समय पर जात वैधता प्रमाणपत्र प्रस्तुत नहीं कर सके। साथ ही, यह तीन महीने की समय सीमा अंतिम होगी। इसके बाद किसी भी प्रकार की समय सीमा बढ़ोतरी नहीं की जाएगी।
जात वैधता जांच समितियों की गंभीर स्थिति, समाधान आवश्यक
महाराष्ट्र राज्य में जात वैधता जांच समितियों की स्थिति चिंताजनक है। कुल 36 समितियों में से केवल 14 स्थानों पर पूर्णकालिक अध्यक्ष हैं, जबकि शेष स्थानों पर प्रभारी अध्यक्ष कार्यरत हैं। इसका असर सरकारी व्यवस्था पर पड़ रहा है, जिससे जात वैधता प्रमाणपत्र समय पर उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं।
इसका परिणाम यह हो रहा है कि एसईबीसी और ओबीसी (कुणबी) वर्ग के छात्रों को केवल आवेदन रसीद को ही प्रवेश के लिए अंतिम तिथि तक मान्य माना जाता है। लेकिन अंतिम तिथि तक जात वैधता प्रमाणपत्र प्रस्तुत न कर पाने पर उनका प्रवेश स्वतः रद्द हो जाता है। इससे कई छात्र आरक्षण और अन्य लाभों से वंचित हो रहे हैं।
डॉ. राजेंद्र दाते पाटील ने इस गंभीर समस्या का समाधान निकालने की आवश्यकता पर जोर दिया है।
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