डाॅक्टर गफ्फार काद्री की ‘घर वापसी’ – राजनीतिक सफर का एक और पडाव...!

( अली रज़ा आबेदी ) राजनीति में लोग पार्टियाँ बदलते रहते हैं, पर डाॅ. गफ्फार काद्री का यह कदम ज़रा अलग है—क्योंकि यह घर वापसी भी है और राजनीतिक पुनर्वसन भी।
पूर्व में मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रदेश अध्यक्ष और उससे पहले राष्ट्रवादी कांग्रेस (शरद पवार गुट) के वरिष्ठ नेता रह चुके काद्री साहब कल शाम 4 बजे, राज्य के उप मुख्यमंत्री अजित पवार की मौजूदगी में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (अजित पवार गुट) में प्रवेश करने जा रहे हैं।
एव्हरेस्ट अभियांत्रिकी महाविद्यालय में आयोजित इस कार्यक्रम को उनके करीबी लोग मज़ाकिया अंदाज़ में “घर वापसी समारोह” कह रहे हैं—यानी NCP से AIMIM, फिर समाजवादी पार्टी और अब दोबारा NCP, बस इस बार गुट बदल कर।
काद्री साहब को एक कुशल संघटक और मास लीडर माना जाता है। मगर मजलिस में राजनीतिक तौर पर खुद को अलग-थलग पाकर, उन्होंने नया रास्ता चुनने का फैसला कर लिया। पिछले विधानसभा चुनाव में उनके NCP में शामिल होने और टिकट मिलने की चर्चा ज़ोरों पर थी, लेकिन उनका विधानसभा क्षेत्र गठबंधन में कांग्रेस के खाते में चला जाने के कारण यह संभव न हो सका। मजबूरी में उन्हें समाजवादी पार्टी से चुनाव मैदान में उतरना पड़ा—और एक मज़बूत नेता, दलगत राजनीति की भेंट चढ़कर विधानसभा की दहलीज़ तक नहीं पहुँच सका।
अब उनके समर्थकों को उम्मीद है कि भले विधानसभा न सही, लेकिन विधान परिषद तक तो यह घर वापसी एक्सप्रेस पहुँच ही जाएगी।
डाॅ. काद्री की राजनीतिक यात्रा किसी रोलरकोस्टर से कम नहीं—NCP (शरद पवार) → AIMIM → समाजवादी पार्टी → NCP (अजित पवार)।
कहते हैं राजनीति में कोई दरवाज़ा हमेशा के लिए बंद नहीं होता—बस चाबी सही समय पर मिलनी चाहिए, और काद्री साहब को इस बार वो चाबी शायद मिल गई है।ऐसा उनके समर्थकों को लगता है! कल क्या होगा ये हम नही जानते है! क्यों कि हम बोलेगा तो बोलोगे के बोलता है...
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