कर्बला का चैहलुम – नजफ़ से कर्बला तक दुनिया की सबसे बड़ी शांति यात्रा

( अली रज़ा आबेदी ) हर साल इस्लामी माह सफ़र की 20 तारीख को, हज़रत इमाम हुसैन अ.स. की शहादत के चालीसवें दिन को चैहलुम चालिसवा (अरबी: अरबईन) के रूप में मनाया जाता है। इस अवसर पर इराक में नजफ़ से कर्बला तक लगभग 90 किलोमीटर लंबी धार्मिक पैदल यात्रा (अरबी में मशी) होती है, जिसे दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे शांतिपूर्ण धार्मिक आयोजन माना जाता है।
इमाम हुसैन अ.स., इस्लाम के पैग़म्बर हज़रत मोहम्मद स.स. के नवासे और हज़रत अली अ.स. एवं बीबी फ़ातिमा स.अ. के बेटे थे। सन् 680 ई. (61 हिजरी) में, कर्बला के मैदान में, उन्होंने दुराचारी, अत्याचारी और अन्यायी यज़ीद इब्ने माविया की हुकूमत के सामने सिर झुकाने के बजाय अपने परिवार और साथियों के साथ शहादत स्वीकार की। यह बलिदान सिर्फ़ एक धार्मिक घटना नहीं, बल्कि इंसाफ़, सच्चाई और मानवता के लिए संघर्ष का प्रतीक है।
कर्बला की यह घटना इस बात का सबक देती है कि "सत्य की रक्षा के लिए जान भी देनी पड़े तो पीछे नहीं हटना चाहिए"।
संयुक्त राष्ट्र और विभिन्न अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों की रिपोर्ट के अनुसार, चैहलुम के अवसर पर 2 से 3 करोड़ लोग कर्बला में इकट्ठा होते हैं, जो कि हज से भी कई गुना बड़ा धार्मिक जमावड़ा है। इसके बावजूद, व्यवस्था और शांति बनाए रखना इस आयोजन की सबसे बड़ी विशेषता है।
रास्ते में हज़ारों मौक़िब (सेवा शिविर) लगे होते हैं!जहां पर दुनिया का सबसे बडा 90 किलोमीटर का दस्तरख़ान सजा रहेता है !
मुफ़्त खाना (24 घंटे)
पानी, जूस, चाय, कॉफ़ी
फल, मिठाई
आराम और सोने की जगह
चिकित्सा और प्राथमिक उपचार के लिए सवा मे हज़ारो वाॅल्टींयर लगे रहेते है!
यह दस्तरख़ान धर्म, जाति, रंग या देश की सीमाओं से परे मानवता की सेवा का उदाहरण है।इतने बड़े पैमाने पर आयोजित होने वाले नजफ़ से कर्बला के चैहलुम में हर साल की तरह इस बार भी आतंकवाद का खतरा मंडरा रहा था। इराक के इतिहास में अतीत में आतंकवादी संगठन और चरमपंथी गुट कई बार ऐसे आयोजनों को निशाना बना चुके हैं, इसलिए इस बार प्रशासन ने सुरक्षा के लिए भारी सुरक्षा बलों की तैनाती की !
इराकी सेना, पुलिस, और विशेष बलों के 1 लाख से अधिक जवान तैनात
मुख्य रास्तों पर स्नाइपर पॉइंट्स, और छतों पर निगरानी
ड्रोन्स और हेलीकॉप्टर से रियल-टाइम मॉनिटरिंग
चेकपॉइंट्स और स्क्रीनिंग
नजफ़ से कर्बला तक दर्जनों चेकपॉइंट्स
मेटल डिटेक्टर और बम-डिटेक्शन डॉग्स
महिला सुरक्षा कर्मियों द्वारा अलग स्क्रीनिंग
भीड़ नियंत्रण और रूट मैनेजमेंट
पैदल यात्रियों के लिए अलग लेन
आपातकालीन एंबुलेंस लेन को हर समय खाली रखना
रूट पर मौक़िब और पुलिस पोस्ट का संयुक्त संचालन
स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय सहयोग
ईरान, लेबनान और अन्य पड़ोसी देशों की सुरक्षा एजेंसियों के साथ इंटेलिजेंस शेयरिंग
संयुक्त राष्ट्र और रेड क्रॉस जैसी संस्थाओं की सहायता
स्वास्थ्य और आपातकालीन सेवाएँ
500 से अधिक मोबाइल मेडिकल यूनिट्स
हजारों वॉलंटियर्स का तैनाती
हीट स्ट्रोक और डिहाइड्रेशन रोकने के लिए पानी वितरण केंद्र स्थापित किए जिसके चलते
इन कड़े और व्यवस्थित इंतज़ामों की वजह से
कोई बड़ा आतंकी हमला नहीं हुआ
यात्रा शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुई
स्वास्थ्य सेवाओं और भीड़ प्रबंधन में भी प्रशासन को सफलता मिली
दुनिया भर के मीडिया ने इसे "इतिहास का सबसे सुरक्षि धार्मिक यात्रा कहा !
What's Your Reaction?






