सफ़ीरे कर्बला: हज़रत मुस्लिम बिन अकील (अ.स.) की ज़िंदगी, शहादत और उनके बेटों की शहादत

Jun 5, 2025 - 22:49
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सफ़ीरे कर्बला: हज़रत मुस्लिम बिन अकील (अ.स.) की ज़िंदगी, शहादत और उनके बेटों की शहादत

हज़रत मुस्लिम बिन अकील (अ.स.), हज़रत अकील बिन अबी तालिब (अ.स.) के बेटे और इमाम हुसैन (अ.स.) के चचेरे भाई थे। मदीना में जन्मे, वे साहसी, बुद्धिमान और अहल-ए-बैत के वफादार थे। उन्होंने हज़रत अली (अ.स.) और इमाम हसन (अ.स.) की खिदमत की और इमाम हुसैन (अ.स.) के विश्वस्त दूत बने। (रेफरन्स: मकातिब-ए-रसूल, शेख अब्बास क़ुमी; बिहार-उल-अनवार, अल्लामा मजलिसी)कूफ़ा में भूमिका और शहादत:

61 हिजरी में, इमाम हुसैन (अ.स.) ने कूफ़ा के लोगों के पत्रों की सत्यता जांचने के लिए हज़रत मुस्लिम (अ.स.) को कूफ़ा भेजा। वहां उन्होंने इमाम के लिए हजारों से बैअत ली। मगर उबैदुल्लाह इब्न ज़ियाद के गवर्नर बनने पर कूफ़ा के लोग डर और लालच में बिखर गए। हज़रत मुस्लिम (अ.स.) को हानी बिन उर्वा के घर में पनाह मिली, लेकिन विश्वासघात के बाद 9 ज़िलहिज्जा, 60 हिजरी को उन्हें गिरफ्तार कर शहीद कर दिया गया। उनकी शहादत कर्बला की त्रासदी का पहला अध्याय बनी। (रेफरन्स: लोहूफ, सय्यद इब्न तावूस; बिहार-उल-अनवार, खंड 44)बेटों की शहादत:

हज़रत मुस्लिम (अ.स.) के दो मासूम बेटे, मुहम्मद और इब्राहिम कुफ़ा में कैद हुए। जेल में भूख-प्यास सहने के बाद रिहाई मिली, लेकिन ज़ालिमो ने उन्हें नदी किनारे बेरहमी से शहीद कर दिया। उनकी शहादत अहल-ए-बैत की कुर्बानी का मार्मिक हिस्सा है। (रेफरन्स: मकातिल-उल-तालीबीन, अबुल फरज इस्फहानी; तारीख-ए-तबरी, इमाम तबरी)महत्व:

हज़रत मुस्लिम (अ.स.) की शहादत ने कूफ़ा की विश्वासघाती प्रकृति उजागर की और इमाम हुसैन (अ.स.) के मिशन को बल दिया। उनकी और उनके बेटों की कुर्बानी सत्य और न्याय के लिए बलिदान का प्रतीक है, जो आज भी प्रेरणा देती है। (रेफरन्स: नफ़्स-उल-महमूम, शेख अब्बास क़ुमी)

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