मुसलमानो सावधान हो जाओ... मुस्लिम हितैशी कव्वे कांव कांव कर मंडराने लगे है...
( अली रज़ा आबेदी ) :- महाराष्ट्र मे चुनावि आहट के साथ ही मुस्लिम हितैशी चुनावि कव्वे मुसलमानो को एक जुट कर ने के नाम पर कांव कांव करते मंडराने लगे है ! राज्य मे बिस से ज्यादा निर्वाचन क्षेत्र ऐसे है ! जहां पर मुस्लिम मतदाता चुनावी उलट फेर करने की ताक़त रखते है ! सवाल ये उठता है, क्या मुस्लिम मतदाता किसी एक पक्ष या पार्टी को इकठ्ठा होकर वोट डालते है ?
राजनीतिक विश्लेषक इसका जवाब ना मे देते है ! मुसलमानो पर जातिवादी और कट्टर वादी होने का इल्ज़ाम भी लगाया जाता है ! चुनाव मे मुसलमानो के बिच ये दो फॅक्टर बडा काम करते है इस बात मे कितना तथ्य है ! हाल ही मे हुए लोक सभा चुनाव मे मुसलमान वोटोर्स का शिवसेना उध्व ठाकरे के प्रति जो रूझान रहा उसे देखा जाए तो उपरोक्त बातो मे कोई दम नजर नही आता है !
फिर क्या वजहा है मुस्लिम हितैशी नेता स्काॅलर ठिक चुनाव से पहले मुसलमानो को एक जुट करने के लिए अचानक ख़ाब- ए- ग़फ़लत से जाग जाते है ! दौरे करने लगते है, सेमिनार, मिटींग, प्रेस कॉन्फ्रेंस करने लगते है ? मुसलमानो के अलावा दलित मतदाता भी है जो चुनाव पर सिधा असर डालते है ! तो क्या दलित एकजुट है ? जिसका जवाब ना मे ही होगा ! फिर अलग अलग पार्टीयो गुटो मे बटे दलितो को एक जुट करने के लिए दलित नेता स्काॅलर क्यो सामने नही आते !
दलित एक जुट ना होने के बा वजुद रामदास आठवले सहाब को मंत्री बनाने पर सत्ता पक्ष को विवश होना पडता है ! मुसलमान अथक प्रयास करने के बा वजुद कोई भी पार्टी मुसलमान को पद देने के लिए राजी नही होती है ! विश्लेषक मानते है प्रयास मे इमानदारी की कमी है ! मुसलमानो के साथ दुविधा ये है, जो भी उनके हित की बात करने आता है, उसका मकसद उनके माध्यम से उसे अपना हित साधना होता है ! सभी जानते है ये एक हव्वा खडा किया गया है, मुसलमान इकठ्ठा होकर मतदान करते है ! पिछले चुनावि आकडे भी इस बात की गवाही देते है ! मुसलमानो के इकठ्ठा होने के भय का फायदा बडी चालाकी से उठा लिया जाता है ! और बेचारा मुसलमान मुह तकता रहे जाता है ! हम तो बस इतना ही कहेंगे भाईयो सावधान हो जा ओ !
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