मुंबई मलबार हिल सय्यदना का सैफी महेल षड्यंत्रो का केंद्र... जन्म से लेकर मृत्यु तक बोहरा समुदाय का आर्थिक और सामाजिक शोषण.... सुधारवादी बोहरा समुदाय का गंभीर आरोप !

दाऊदी बोहरा समुदाय में सैफी महल, जो मुंबई के मालाबार हिल में सय्यदना मुफद्दल सैफुद्दीन का आधिकारिक निवास और दावत-ए-हादिया का प्रशासनिक केंद्र है, को लेकर सुधारवादी बोहरा समुदाय की ओर से गंभीर आरोप लगाए गए हैं। इन आरोपों में सैफी महल को आर्थिक घपलों, षड्यंत्रों, और बोहरा समाज के शोषण का अड्डा बताया गया है। ये आरोप मुख्य रूप से दाई-उल-मुतलक़ की सर्वोच्च सत्ता, समुदाय की संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता की कमी, और सामाजिक नियंत्रण की प्रथाओं से संबंधित हैं। सुधारवादी बोहरा समुदाय, विशेष रूप से स्व. अज़गर अली इंजिनियर और प्रोग्रेसिव दाऊदी बोहरा कम्युनिटी जैसे संगठनों द्वारा, सैफी महल और दावत-ए-हादिया के प्रशासन पर निम्नलिखित आरोप लगाए गए हैं ! सुधार वादी र्कायकरताओ का दावा है कि दावत-ए-हादिया और इसके ट्रस्टों, जैसे सैफी फाउंडेशन और अंजुमन-ए-बुरहानी ट्रस्ट, जो सैफी महल से संचालित होते हैं, की संपत्ति हजारों करोड़ रुपये की है। इन ट्रस्टों की आय-व्यय का कोई लोकतांत्रिक लेखा-जोखा नहीं होता, और समुदाय के सदस्यों को इसकी जानकारी नहीं दी जाती। आरोप है कि समुदाय से विभिन्न करों (जैसे सिलाफी, जकात, और फित्रा) और दान के रूप में एकत्र धन का दुरुपयोग होता है। सुधारवादियों का कहना है कि सैफी महल में बैठकर सय्यदना और उनके करीबी सहयोगी इन फंडों का व्यक्तिगत लाभ के लिए उपयोग करते हैं, जैसे भव्य जीवनशैली और विदेशी संपत्तियों का अधिग्रहण। कुछ सुधारवादी कार्यकर्ताओं ने दावा किया कि सैफी महल "आर्थिक शोषण का केंद्र" बन गया है, जहां समुदाय के धन का हिसाब-किताब गुप्त रखा जाता है। सुधारवादी बोहरा समुदाय का तर्क है कि सैफी महल से संचालित दावत-ए-हादिया समुदाय के सदस्यों पर सख्त नियंत्रण रखता है। यह नियंत्रण धार्मिक, सामाजिक, और व्यक्तिगत मामलों तक फैला हुआ है। उदाहरण के लिए, व्यवसाय शुरू करने, शादी, या सामुदायिक गतिविधियों में भाग लेने के लिए सय्यदना या उनके प्रतिनिधियों (आमिल) की अनुमति आवश्यक होती है। जो लोग सय्यदना की नीतियों या नियमों का विरोध करते हैं, उन्हें सामाजिक बहिष्कार (जमात से निकाला जाना) का सामना करना पड़ता है। सुधारवादियों का दावा है कि सैफी महल से इस तरह के आदेश जारी किए जाते हैं, जिससे समुदाय में भय का माहौल बनता है। यह एक "षड्यंत्र" के रूप में देखा जाता है, जिसका उद्देश्य सुधारवादी विचारों को दबाना और सय्यदना की सत्ता को बनाए रखना है।
सैफी महल से संचालित प्रशासन समुदाय के सदस्यों का आर्थिक और सामाजिक शोषण करता है। उदाहरण के लिए, समुदाय के सदस्यों को विभिन्न धार्मिक करों और दान के लिए दबाव डाला जाता है, और इन फंडों का उपयोग पारदर्शी तरीके से नहीं होता।निजी जीवन में सुधारवादियों का कहना है कि सय्यदना का समुदाय पर इतना नियंत्रण है कि निजी मामलों, जैसे ड्रेस कोड (रिदा और सायरा), शादी, और शिक्षा, में भी उनकी अनुमति आवश्यक होती है। इसका विरोध करने वालों को सामाजिक और आर्थिक रूप से अलग-थलग कर दिया जाता है।सैफी महल को एक वंशवादी व्यवस्था का केंद्र माना जाता है, जहां सय्यदना की नियुक्ति लोकतांत्रिक या योग्यता-आधारित नहीं, बल्कि पारिवारिक वंश पर आधारित होती है,आरोपों की सत्यता का मूल्यांकन करने के लिए, हमें सुधारवादी और मुख्यधारा के दाऊदी बोहरा समुदाय के दृष्टिकोण, उपलब्ध साक्ष्य, और कानूनी स्थिति को देखना होगा।सुधारवादी कार्यकर्ताओं का कहना है कि दावत-ए-हादिया के ट्रस्टों की संपत्ति, जिसका अनुमान 50,000 करोड़ रुपये से अधिक है, का कोई सार्वजनिक लेखा-जोखा नहीं होता। अज़गर अली इंजिनियर ने अपनी पुस्तक The Bohras (1980) में लिखा कि समुदाय से एकत्र धन का उपयोग सय्यदना के व्यक्तिगत लाभ और उनके परिवार की भव्य जीवनशैली के लिए किया जाता है।कुछ सुधारवादी वेबसाइट्स, जैसे www.dawoodi-bohras.com, ने दावा किया कि सैफी महल में बैठकर सय्यदना और उनके सहयोगी ट्रस्टों के फंडों का गलत उपयोग करते हैं, जैसे विदेशी संपत्तियों में निवेश और गैर-जरूरी परियोजनाओं पर खर्च। सय्यदना मुफद्दल सैफुद्दीन के समर्थक इन आरोपों को खारिज करते हैं, दावा करते हुए कि ट्रस्टों का धन समुदाय के कल्याण के लिए उपयोग होता है। उदाहरण के लिए, सैफी अस्पताल (मुंबई), अल-जामिया-तुस-सैफियाह (सूरत, कराची, मुंबई), और सामुदायिक रसोई (फैज-उल-मवैद) जैसी परियोजनाएं इन फंडों से संचालित होती हैं।दावत-ए-हादिया का दावा है कि समुदाय के सदस्य स्वेच्छा से जकात, सिलाफी, और अन्य दान देते हैं, और इनका उपयोग पारदर्शी तरीके से शिक्षा, स्वास्थ्य, और सामाजिक कल्याण के लिए किया जाता है। The Dawoodi Bohras वेबसाइट पर प्रकाशित एक लेख में कहा गया कि ट्रस्टों की आय का उपयोग समुदाय की मस्जिदों, स्कूलों, और अस्पतालों के रखरखाव और विस्तार के लिए होता है। सुधारवादी समूहों ने अभी तक कोई ठोस दस्तावेजी साक्ष्य, जैसे लेखा-जोखा या बैंक स्टेटमेंट, प्रस्तुत नहीं किया है जो यह साबित करे कि सैफी महल से संचालित ट्रस्टों में आर्थिक घपले हो रहे हैं। ये आरोप मुख्य रूप से अनुमानों और व्यक्तिगत अनुभवों पर आधारित हैं। ये सब साबीत करना सुधार वादी बोहरा समुदाय के लिए असंभव सी सी बात है!कहा जाता है कि, सुधारवादी बोहरा आंदोलन को सय्यदना और उनके समर्थको द्वारा बडी बे रैहेमी से कुचला जा चुका है! सुधारवादी आंदोलन के नेता अज़गर अली इंजिनियर के मृत्यु के चलते आंदोलन मे बिखराव आ चुका है !
आंदोलन मे शामिल कई सुधारवादी सय्यदना को माफी नामा लिख कर समुदाय के मुख्य धारा मे शामील हो चुके है !
[ क्रमश: ]
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