पहलगाम आतंकी हमला, भारत का कड़ा रुख और शिमला समझौता: दोनों देशों पर दुरगामी परिणाम

Apr 25, 2025 - 01:05
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पहलगाम आतंकी हमला, भारत का कड़ा रुख और शिमला समझौता: दोनों देशों पर दुरगामी परिणाम

22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव को एक बार फिर चरम पर पहुंचा दिया। इस हमले में 26 से अधिक लोगों की मौत हुई, जिनमें विदेशी पर्यटक और स्थानीय नागरिक शामिल थे। लश्कर-ए-तैयबा के सहयोगी संगठन 'द रेजिस्टेंस फ्रंट' (TRF) ने इस हमले की जिम्मेदारी ली, जिसके मास्टरमाइंड सैफुल्लाह खालिद को पाकिस्तान में संचालित होने का दावा किया गया। भारत सरकार ने इस हमले के जवाब में कड़े कदम उठाए, जिसमें सिंधु जल समझौते को निलंबित करना और अटारी-वाघा बॉर्डर को बंद करना शामिल है। जवाब में, पाकिस्तान ने शिमला समझौते को तोड़ने की धमकी दी, जिसने दोनों देशों के बीच पहले से ही तनावपूर्ण संबंधों को और जटिल कर दिया। इस लेख में हम इस घटनाक्रम के दुरगामी परिणामों का विश्लेषण करेंगे।पहलगाम आतंकी हमला और भारत का कड़ा रुखपहलगाम के बैसरन घाटी में हुए इस हमले को 2019 के पुलवामा हमले के बाद कश्मीर में सबसे घातक हमला माना जा रहा है। आतंकियों ने पर्यटकों को निशाना बनाया, जिसमें उनकी धार्मिक पहचान पूछकर गोलीबारी की गई। इस हमले ने न केवल भारत में गुस्से का माहौल पैदा किया, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय का भी ध्यान आकर्षित किया। भारत सरकार ने तत्काल कार्रवाई करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (CCS) की बैठक बुलाई, जिसमें पांच बड़े फैसले लिए गए:सिंधु जल समझौते का निलंबन: 1960 में हुआ यह समझौता पाकिस्तान की कृषि और अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है। भारत ने इसे निलंबित कर पाकिस्तान पर आर्थिक दबाव बढ़ाने की रणनीति अपनाई।अटारी-वाघा बॉर्डर बंद: इस कदम ने दोनों देशों के बीच सीमित व्यापार और आवागमन को प्रभावित किया।पाकिस्तानी नागरिकों पर प्रतिबंध: भारत ने पाकिस्तानी नागरिकों को 48 घंटे में देश छोड़ने का आदेश दिया और SAARC वीजा छूट योजना को रद्द कर दिया।पाकिस्तानी दूतावास पर प्रतिबंध: नई दिल्ली में पाकिस्तानी उच्चायोग के कर्मचारियों की संख्या को 55 से घटाकर 30 करने का फैसला लिया गया।अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कार्रवाई: भारत ने 20 देशों के राजनयिकों को हमले की जानकारी दी, जिसमें अमेरिका, ब्रिटेन, चीन और रूस शामिल थे, ताकि पाकिस्तान पर वैश्विक दबाव बनाया जा सके।ये कदम भारत की "आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस" नीति को दर्शाते हैं और पाकिस्तान को कड़ा संदेश देते हैं कि सीमा पार आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।पाकिस्तान की प्रतिक्रिया और शिमला समझौते पर खतरा पाकिस्तान ने भारत के इन कदमों को "युद्ध जैसा" करार देते हुए जवाबी कार्रवाई की। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने राष्ट्रीय सुरक्षा समिति (NSC) की आपात बैठक बुलाई, जिसमें कई बड़े फैसले लिए गए:वाघा बॉर्डर बंद: पाकिस्तान ने भी वाघा बॉर्डर बंद कर दिया, जिससे दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और व्यापारिक आदान-प्रदान ठप हो गया।भारतीय हवाई क्षेत्र पर प्रतिबंध: पाकिस्तान ने भारतीय विमानों के लिए अपना हवाई क्षेत्र बंद कर दिया, जिससे भारत की व्यावसायिक उड़ानों को लंबा रास्ता अपनाना पड़ सकता है।शिमला समझौते को तोड़ने की धमकी: पाकिस्तान ने 1972 के शिमला समझौते को निलंबित करने की बात कही, जिसे दोनों देशों के बीच शांति और द्विपक्षीय वार्ता का आधार माना जाता है।शिमला समझौता, जो 1971 के युद्ध के बाद भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो के बीच हुआ था, दोनों देशों को शांतिपूर्ण तरीके से विवाद सुलझाने और नियंत्रण रेखा (LoC) का सम्मान करने के लिए प्रतिबद्ध करता है। पाकिस्तान का इस समझौते से हटने का फैसला क्षेत्रीय स्थिरता के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकता है।दोनों देशों पर दुरगामी परिणामइस घटनाक्रम के भारत और पाकिस्तान पर कई दीर्घकालिक प्रभाव पड़ सकते हैं! सिंधु जल समझौते को निलंबित करने से भारत ने पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ाया है, क्योंकि पाकिस्तान की 80% कृषि इस संधि पर निर्भर है। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की सक्रियता से पाकिस्तान को आतंकवाद के मुद्दे पर वैश्विक स्तर पर अलग-थलग किया जा सकता है।सुरक्षा चुनौतियां: पहलगाम हमले ने कश्मीर में सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं। भारत को अपनी खुफिया और सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत करना होगा, खासकर पर्यटन स्थलों पर।क्षेत्रीय पर्यटन पर प्रभाव: पहलगाम जैसे पर्यटन स्थलों पर हमले से कश्मीर के पर्यटन उद्योग को नुकसान पहुंच सकता है, जो हाल के वर्षों में पुनर्जनन की ओर अग्रसर था।आंतरिक राजनीति: भारत में इस हमले ने विपक्ष को सरकार की सुरक्षा नीतियों पर सवाल उठाने का मौका दिया है। हालांकि, सर्वदलीय बैठक जैसे कदम राष्ट्रीय एकता को मजबूत कर सकते हैं। सिंधु जल समझौते के निलंबन से पाकिस्तान की कृषि और जल आपूर्ति पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। यह देश की पहले से ही कमजोर अर्थव्यवस्था को और अस्थिर कर सकता है। भारत की कूटनीतिक कार्रवाइयों और आतंकवाद के समर्थन के आरोपों के कारण पाकिस्तान वैश्विक मंचों पर अलग-थलग पड़ सकता है। शिमला समझौते को तोड़ने की धमकी से पाकिस्तान की सैन्य और राजनीतिक नेतृत्व की विश्वसनीयता पर सवाल उठ सकते हैं। इसके अलावा, आतंकवाद के समर्थन के आरोप आंतरिक असंतोष को बढ़ा सकते हैं।सैन्य तनाव: शिमला समझौते के टूटने से नियंत्रण रेखा पर सैन्य तनाव बढ़ सकता है, जिससे दोनों देशों के बीच सैन्य टकराव का खतरा बढ़ेगा।3. क्षेत्रीय और वैश्विक प्रभावक्षेत्रीय अस्थिरता: भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ता तनाव दक्षिण एशिया की स्थिरता के लिए खतरा है। दोनों देशों के परमाणु हथियारों की मौजूदगी इस तनाव को और खतरनाक बनाती है। अमेरिका चीन और रूस जैसे देश इस तनाव को कम करने के लिए मध्यस्थता की कोशिश कर सकते हैं। हालांकि, भारत ने हमेशा कश्मीर मुद्दे को द्विपक्षीय रखने पर जोर दिया है, जो शिमला समझौते का मूल सिद्धांत है।  

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